“नीलांजन समाभासं” संस्कृत का एक प्रसिद्ध श्लोक है जो भगवान शनि (Shani Dev) की स्तुति करता है। यह श्लोक विशेष रूप से शनिवार के दिन पढ़ा जाता है और इसका उपयोग शनि देव की कृपा पाने, उनकी दशा (साढ़ेसाती, ढैय्या आदि) से बचने और जीवन में शांति एवं सफलता पाने के लिए किया जाता है।
भावार्थ (अर्थ):
“जो नीले अंजन (काजल) के समान दीप्तिमान हैं,
जो सूर्य के पुत्र हैं और यमराज के अग्रज (बड़े भाई) हैं,
जो छाया और सूर्य के संयोग से उत्पन्न हुए हैं,
ऐसे शनैश्चर (शनि देव) को मैं नमस्कार करता हूँ।”
मुख्य जानकारी:
- नीलांजन समाभासं: नीले अंजन (काजल) के समान तेजस्वी रूप।
- रवि पुत्रं: सूर्य देव के पुत्र।
- यमाग्रजम्: यमराज के बड़े भाई।
- छायामार्तण्ड सम्भूतं: छाया (शनि की माता) और मार्तण्ड (सूर्य) से उत्पन्न।
- शनैश्चरम्: धीरे-धीरे चलने वाला ग्रह — शनि।
कब और क्यों पढ़ें:
- शनिवार के दिन, विशेष रूप से सुबह या शनि की पूजा के समय।
- शनि दोष, साढ़ेसाती, ढैय्या जैसी स्थितियों में।
- जीवन में कष्टों, रुकावटों और कर्मफल से राहत पाने हेतु।
Shani Mantra by 108 Brahmins Lyrics:
- English
- Hindi
Nilanjan Samabhasam
Raviputram Yamagrajam
Chaya Martanda Sambhutam
Tam Namami Shaishcharam
नीलांजन समाभासं
रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्ड सम्भूतं
तं नमामि शनैश्चरम्।
Credits:
- Title: Nilanjan Samabhasam Raviputram Yamagrajam
- Singer: Shailendra Bhartti
- Music Director: Shreerang Aras
- Lyrics: Traditional
- Language: Hindi
- Music Label: Music Nova