“मनोजवं मारुत तुल्य वेगं” भगवान हनुमान जी की एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तुति (स्तोत्र) की पंक्ति है। यह पंक्ति उनके दिव्य गुणों का वर्णन करती है। यह श्लोक उन्हें स्मरण करते समय, विशेषकर पूजा या ध्यान के समय, बोला जाता है।
“मनोजवं मारुत तुल्य वेगं” – का भावार्थ:
- मनोजवं – जिसकी गति मन के समान तेज है,
- मारुततुल्यवेगं – जो पवन (मारुत) के समान वेगवान है,
- जितेन्द्रियं – जिसने इंद्रियों को जीत लिया है (संयमी है),
- बुद्धिमतां वरिष्ठम् – जो बुद्धिमानों में श्रेष्ठ है,
- वातात्मजं – जो पवनदेव के पुत्र हैं,
- वानरयूथमुख्यं – जो वानरों की सेना के प्रमुख हैं,
- श्रीरामदूतं – जो श्रीराम के दूत हैं,
- शरणं प्रपद्ये – मैं उनकी शरण ग्रहण करता हूँ।
कब और क्यों बोला जाता है?
- हनुमान पूजा, ध्यान, आरती या संकट से मुक्ति के समय।
- आत्मबल और विश्वास बढ़ाने के लिए।
- विद्यार्थियों, साधकों और भक्तों के लिए यह एक आदर्श प्रार्थना है।
Manojavam Marut Tulya Vegam Lyrics:
- English
- Sanskrit
Manojavam Marut Tulya Vegam
Jitendriyam Buddhi Mataam Varishtham
Vaataatmajam Vaanara Yooth Mukhyam
Shree Raama Dootam Sharnam Prapadye
Shree Raama Dootam Sharnam Prapadye
मनोजवं मारुत तुल्य वेगं
जितेन्द्रियं बुद्धि मतां वरिष्ठ
वातात्मजं वानर यूथ मुख्यं
श्री राम दूतं शरणं प्रपद्ये
श्री राम दूतं शरणं प्रपद्ये
Credits:
- Title: Manojavam Marut Tulya Vegam
- Singer: Shailendra Bhartti
- Music Director: Shreerang Aras
- Lyrics: Traditional
- Music Label: Music Nova